लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

11 -होली की तैयारियां-

श्रेया श्रवण को बताती है कि वह इतना अच्छा सपना देख रही थी। जब श्रवण ने उसे आवाज दी। श्रवन की आवाज से उसका सपना टूट गया। श्रेया ने श्रवन को बताया कि वह सपने में छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेल रही थी। और वह बच्चों के साथ खेलना उसे स्वर्ग की अनुभूति दे रहा था। वह उस स्वप्नलोक में विचरण कर पूर्ण रूपेण आनंदित हो रही थी। श्रेया श्रवन को स्वप्न की बात बताते बताते फिर खुली आंखों से ख्वाबों में खो गई। उसका इस तरह खुश होना, श्रवन को बहुत आनंदित कर रहा था। श्रेया के द्वारा सुनाए गये स्वप्न को सुनकर श्रवन भी बहुत आनंदित हो रहा था। दोनों सपनों की दुनिया में खो गए थे। उन्हें पता ही नहीं चला कि रक्षा कमरे के दरवाजे पर खड़ी है। बहुत देर देखने के बाद जब रक्षा ने भाई भाभी को आवाज लगाई, तब वह दोनों सपने से बाहर आए। तब रक्षा ने कहा कि आप दोनों को मां बुला रही है। इतने में मां की आवाज आई। उन्होंने रक्षा श्रेया और श्रवन तीनों को पुकारा- और कहा जल्दी आओ। चाय ठंडी हो रही है।मां सभी के लिए चाय बना कर बैठी हुई थी। मां की आवाज सुनते ही सभी दौड़कर हॉल में पहुंच गए, बाकी सब लोग वहां पहले ही पहुंच चुके थे। सभी ने एक दूसरे को मुस्कुराकर सुप्रभात कर शुभकामनाएं प्रेषित की, और मां ने सभी के लिए चाय मेज पर लगा दी। रक्षा और श्रेया ने सभी को चाय का कप पकड़ाया और सभी लोग चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद ससुर जी अखबार पढ़ने बैठ गए। श्रेया अपने कमरे में वापस आ गई। मां जी रसोई घर में नाश्ते की तैयारी करने लगी।रक्षा भी अपने कमरे में चली गईं।

कुछ ही देर में श्रेया नहाकर तैयार हो बाहर आई और रसोई घर में मां के पास पहुंची। मां नाश्ते की तैयारी कर रही थी, श्रेया ने और मां ने मिलकर नाश्ता बनाया। सासू मां श्रेया को आराम करने को कह रही थी,पर श्रेया ने कहा- मां जी में बैठे-बैठे परेशान हो जाती हूं। तो मैं थोड़ी सी आपकी मदद करना चाहती हूं,वह मुझे करने दीजिए ।आप भी तो अकेले थक जाती होंगी, कितना काम आपके ऊपर पड़ रहा है।आप अकेले ही सब कुछ संभाल रही हैं, कहकर श्रेया नाश्ता बनाने लगी। नाश्ता बन जाने के बाद मां ने रक्षा को आवाज दी। रक्षा ने आकर सभी के लिए नाश्ता मेज पर  लगा दिया। सभी ने भरपेट नाश्ता किया और पूछा- कि आज नाश्ता किसने बनाया है ?  रक्षा बोल पड़ी, आज तो नाश्ता भाभी ने बनाया है। सभी ने श्रेया की तारीफ की,कि नाश्ता बहुत अच्छा बना है और श्रेया को दुआएं भी दी। आपसे अब रक्षा, श्रेया और सासू मां नाश्ता करने बैठे। अभी नाश्ता कर ही रही थी कि श्रेया का फोन बजने लगा। रक्षा ने फोन उठाकर श्रेया को पकड़ाया। फोन श्रेया की मां ने किया था।  मायके से फोन आया देख श्रेया बहुत खुश हो गई ,उसने फोन उठाया। फोन उठाकर उसने कहा- हैलो......हैलो।

उधर से श्रेया की मम्मी बोल रही थी, मां बोली- हां बेटा कैसी हो। मां की आवाज सुनते ही शेर बहुत खुश हुई और मां की बात का जवाब दिया ।यह कहकर मैं बहुत अच्छी हूं। श्रेया ने मां को बताया कि वह मां जी के साथ नाश्ता कर रही थी। मां ने श्रेया से पूछा- कि घर में सब ठीक है। घर के लोग तेरा ख्याल तो रखते हैं। तब श्रेया ने कहा- कि मां मुझे सासू मां आप से भी ज्यादा प्यार करती है, सभी लोग मेरा बहुत ख्याल रखते हैं। मैं तो बहुत ही भाग्यवान हूं, जो मुझे ऐसा परिवार मिला।सभी  हर पल मेरा ध्यान ध्यान रखते हैं।मुझे किसी चीज की कोई परेशानी नहीं होने देते। मां जी तो मुझे कुछ काम भी नहीं करने देती हैं। अब तो मेरी ननद रक्षा भी आ गई है,जो हर पल मेरे साथ रहती है। और श्रवण भी मेरा बहुत ध्यान रखते हैं।मैं बिल्कुल ठीक हूं मां। मेरी चिंता मत करो। तब श्रेया की मां ने कहा- बेटा तू खुश, तो मैं खुश। ला समधिन जी से मेरी बात करवा दें। तब श्रेया वाली ठीक है ना कह कर उसने फोन सासु मां की तरफ बढ़ा दिया और कहा- कि मम्मी आप से बात करना चाहती हैं। श्रेया की सासू मां ने फोन लिया और बड़े प्यार से दोनों समधिनें  बातें करने लगी। वह एक दूसरे को दादी नानी कहकर संबोधित कर रही थी। और ऐसा कर अपनी खुशी जाहिर कर रही थी। दोनों ने बड़ी देर तक बातें की, और अपने अपने अनुभव साझा किए। श्रेया की मां ने श्रवन की मां से अपनी बेटी के ख्याल रखने का निवेदन कर किया, और प्रणाम करके मम्मी ने फोन रख दिया।

इतने में श्रवन ने आकर श्रेया से कहा- कि कमरे में जाकर मेरे कपड़े निकाल दो। ऑफिस से फोन आया है, कोई जरूरी काम है,उसे ऑफिस जाना है। अच्छा! श्रेया उठकर कमरे में गई और जाकर उसने श्रवन के कपड़े निकाल दिए। श्रवन तैयार होकर ऑफिस चला गया। ऑफिस जाते जाते श्रवन ने श्रेया को अपना ध्यान रखने को कहा। श्रेया ने मुस्कुराकर हां में सिर हिला दिया।

थोड़ी देर का कहकर श्रवन दोपहर तक घर नहीं लौटा, तो श्रेया को चिंता होने लगी। श्रेया ने श्रवन को कॉल लगाया और ना आने की वजह पूछी। खाने का समय हो चुका था। श्रेया ने भी अभी खाना नहीं खाया था, वह इंतजार कर रही थी। कि श्रवन ऑफिस से घर आए, तो साथ में ही खाना खाया जाए। श्रवन ने श्रेया को बताया- कि ऑफिस में कुछ काम है उसको आने में शाम हो जाएगी। वह यहीं कुछ खा लेना इसलिए तुम खाना खा लो। खाना खाकर तुम आराम करो, मैं आकर मिलता हूं। श्रेया ने जाकर सासू मां को पूरी बात बताई। फिर दोनों ने खाना खाया, और दोनों आराम करने को लिए चली गई। श्रेया सो गई थी, शाम कब हो गई श्रेया को पता ही नहीं चला। श्रवण ऑफिस से लौटा तो देखा श्रेया सो रही है। श्रवन ऑफिस से आते समय सभी के लिए आइसक्रीम लेकर आया था। श्रेया को सोते देख उसने उसे जगाकर आइसक्रीम खाने के लिए कहा। श्रेया उठकर बैठी ही थी,कि रक्षा सभी के लिए आइसक्रीम लेकर आ गई। उसने बारी-बारी से सभी को आइसक्रीम दी‌। और खुद भी श्रेया के पास बैठकर आइसक्रीम का स्वाद लेने लगी। श्रेया ने रक्षा से पूछा कि मां जी को आइसक्रीम दी। रक्षा ने कहा हां सभी को आइसक्रीम दे दी है, मां जी भी आइसक्रीम खा रही है। पर फिर भी श्रेया का मन नहीं माना वह उठकर मां जी के पास गई।  उनको आइसक्रीम खाते हुए देखा तब जाकर श्रेया को तसल्ली हुई ।फिर उसने माजी के पास बैठकर ही आइसक्रीम खाई। आइसक्रीम खा कर मां रसोई घर में चली गई और श्रेया अपने कमरे में वापस आ गई उसने श्रवण से ऑफिस में जाने की वजह पूछी, तो श्रवन ने कहा कि कुछ जरूरी काम आ गया था इसलिए ऑफिस ने मुझे बुलाया था अब वह काम हो गया है।अब कोई चिंता की बात नहीं है। नौकरी करनी है, तो इतना तो करना ही पड़ेगा। श्रेया  श्रवण की बात से सहमत थी। श्रवन के पिताजी घर के मामलों में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करते थे। परंतु फिर भी बहू के हाल-चाल पूछते रहते थे, क्योंकि पोते या पोती के आने की खुशी तो उनको भी बहुत ज्यादा थी। आखिर तो वह दादा बनने वाले थे इसलिए वह हमेशा श्रेया का हाल-चाल पूछते रहते। रक्षा जब से वापस आई है। उसने श्रेया के कमरे को भी छोटे बच्चों की तस्वीरों से सजा दिया है। अब श्रेया जिधर भी नजर मारती उधर ही उसे छोटे बच्चे की तस्वीर दिखाई देती।और उसका मन गदगद हो जाता खुशी से झूम उठता। हर तस्वीर में उसे ऐसा महसूस होता कि अभी  वह बच्चा बोल पड़ेगा। इस सब के लिए उसने रक्षा को धन्यवाद दिया। उन तस्वीरों में एक बहुत प्यारी छोटी बच्ची की तस्वीर थी। श्रेया को वह तस्वीर सबसे ज्यादा अच्छी लगती थी।  जब भी उसे देखती है तो उसमें उसे अपनी बेटी नजर आती है,और श्रेया मन ही मन भगवान से प्रार्थना करती।कि भगवान उसे इस चित्र जैसी बेटी की सौगात प्रदान करने की कृपा करें।

इतने में सासु मां की आवाज आती है। कि परसों होली हैं और हमें होली की तैयारियां करनी है। तो सभी लोग अपने अपने रूम से बाहर आकर हॉल में इकट्ठे हो जाए। सभी ने आवाज सुनी तो अपने अपने कमरे से निकलकर सभी बाहर हाल में इकट्ठे हो गए।मां ने होली के लिए सभी को अलग-अलग काम सौंपा। क्योंकि त्यौहार मनाने के लिए बहुत कुछ जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। बहुत कुछ इकट्ठा करना पड़ता है, तो दो दिन में अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। सभी साथ मिलकर तैयारियां करेंगे। तभी होली की तैयारियां हो पाएगी। वैसे भी श्रेया को तो कोई काम करने नहीं दिया जाएगा। तो एक सदस्य और कम हो जाता है। सभी हॉल में इकट्ठे हो गए थे। और इंतजार कर रहे थे, कि मां सबको अपना-अपना काम बताएगी। मां ने बारी-बारी से सभी को उनके काम सौंप दिए। मां ने कहा- रक्षा एक पेपर और पेन लेकर आओ। मैं कुछ सामान की लिस्ट बनवा देती हूं, जो तुम अपने पिताजी को दे दो। वह बाजार से सारा सामान लेकर आएंगे। इतना सुनते ही रक्षा ने कहा- हां जी मां मैं लाती हूं, कहते हुए वह उठी, और पेन वह पेपर  लेने चली गई। कुछ ही देर में रक्षा पेन और पेपर लेकर मां के पास आई, और बोली, बताइए मां क्या लिखना है ।मां ने रक्षा से बैठने को कहा-  रक्षा मां के पास बैठ गई। श्रेया भी वहीं बैठी हुई थी। परिवार के बाकी सब लोग भी हाल में बैठे हुए थे, और मां की बात सुन रहे थे। तब मां ने रक्षा से कहा- लिखो सामान की लिस्ट बताती हूं ।मैं बताती जाऊं, तुम लिखती जाओ। मां ने कहा कि अगर मैं कुछ भूल रही होऊं और जिसे याद आता जाए, वह बताता जाए। जिससे कि एक बार में ही सारा सामान आ जाए, और बार-बार बाजार ना दौड़ना पड़े। पिताजी यह सारी बातें बैठे-बैठे सुन रहे थे। उन्होंने तपाक से कहा- हां लिस्ट सही बना देना । मैं एक बार नहीं सारा सामान लाऊंगा।  मैं बार-बार बाजार नहीं जाऊंगा। सभी पिताजी की बात सुनकर हंसने लगे, रक्षा ने लिस्ट बनाना शुरू किया।

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12 Comments

Sushi saksena

10-Sep-2022 05:03 PM

Bahut khub likha

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Sadhna mishra

10-Sep-2022 01:54 PM

Bahut achha likha h apne 👌👌

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Bahut khub 👌

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